चक्र ध्यान (Chakra Meditation)
चक्र ध्यान का अभ्यास हमारे शरीर में मौजूद 7 ऊर्जा केंद्रों (चक्रों) को संतुलित और सक्रिय करने के लिए किया जाता है। प्रत्येक चक्र एक विशेष अंग, भावना, और ऊर्जा से जुड़ा होता है। यदि कोई चक्र असंतुलित हो जाए, तो यह शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक बीमारियों का कारण बन सकता है।
1. मूलाधार चक्र (Root Chakra)
- स्थान: रीढ़ की हड्डी के आधार पर
- संबंधित अंग: हड्डियां, त्वचा, पैर, इम्यून सिस्टम
- भावनात्मक प्रभाव: सुरक्षा और स्थिरता की कमी
- असंतुलन से बीमारियां:
- जोड़ों का दर्द
- इम्यून सिस्टम कमजोर होना
- डर, तनाव, अवसाद
- कारण: असुरक्षित माहौल, जीवन में अनिश्चितता
- मंत्र: “लम्”
- ध्यान प्रक्रिया: लाल रंग की रोशनी की कल्पना करें और पैरों से ऊर्जा के प्रवाह को महसूस करें।
2. स्वाधिष्ठान चक्र (Sacral Chakra)
- स्थान: नाभि के नीचे
- संबंधित अंग: किडनी, प्रजनन अंग, मूत्राशय
- भावनात्मक प्रभाव: रचनात्मकता और भावनाओं की कमी
- असंतुलन से बीमारियां:
- हार्मोनल समस्याएं
- यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन
- बांझपन
- कारण: दबाई हुई भावनाएं, रचनात्मकता की कमी
- मंत्र: “वं”
- ध्यान प्रक्रिया: नारंगी रंग की रोशनी की कल्पना करें और इसे नाभि क्षेत्र में अनुभव करें।
3. मणिपुर चक्र (Solar Plexus Chakra)
- स्थान: नाभि और पेट के बीच
- संबंधित अंग: पाचन तंत्र, लिवर, पैंक्रियाज
- भावनात्मक प्रभाव: आत्मविश्वास की कमी, नकारात्मकता
- असंतुलन से बीमारियां:
- एसिडिटी, अल्सर
- डायबिटीज
- क्रोध, तनाव
- मंत्र: “रम्”
- ध्यान प्रक्रिया: पीले रंग की रोशनी की कल्पना करें और इसे पेट में भरते हुए महसूस करें।
4. अनाहत चक्र (Heart Chakra)
- स्थान: हृदय के पास, छाती के बीच
- संबंधित अंग: हृदय, फेफड़े, हाथ
- भावनात्मक प्रभाव: प्यार और दया का अभाव
- असंतुलन से बीमारियां:
- हृदय रोग
- अस्थमा
- भावनात्मक अवसाद
- मंत्र: “यम्”
- ध्यान प्रक्रिया: हरे रंग की रोशनी की कल्पना करें और अपने दिल को प्रेम से भरें।
5. विशुद्धि चक्र (Throat Chakra)
- स्थान: गले में
- संबंधित अंग: गला, थायरॉइड
- भावनात्मक प्रभाव: अपनी बात न रख पाना
- असंतुलन से बीमारियां:
- गले के रोग
- थायरॉइड की समस्या
- सिर दर्द
- मंत्र: “हम्”
- ध्यान प्रक्रिया: आसमानी नीले रंग की रोशनी की कल्पना करें और गले में इसे महसूस करें।
6. आज्ञा चक्र (Third Eye Chakra)
- स्थान: माथे के बीच, भौंहों के बीच
- संबंधित अंग: मस्तिष्क, आंखें
- भावनात्मक प्रभाव: दिशाहीनता, स्पष्टता की कमी
- असंतुलन से बीमारियां:
- सिर दर्द
- आंखों की समस्याएं
- ध्यान न लगना
- मंत्र: “ओम्”
- ध्यान प्रक्रिया: बैंगनी रंग की रोशनी की कल्पना करें और इसे भौंहों के बीच महसूस करें।
7. सहस्रार चक्र (Crown Chakra)
- स्थान: सिर के ऊपर
- संबंधित अंग: मस्तिष्क, तंत्रिकाएं
- भावनात्मक प्रभाव: आध्यात्मिकता की कमी, जीवन में उद्देश्य न होना
- असंतुलन से बीमारियां:
- डिप्रेशन
- माइग्रेन
- मस्तिष्क संबंधी समस्याएं
- मंत्र: “ओम्”
- ध्यान प्रक्रिया: सफेद या बैंगनी रंग की रोशनी की कल्पना करें और इसे सिर के ऊपर महसूस करें।
चक्र ध्यान की विधि:
- शांत और आरामदायक स्थान पर बैठें।
- अपनी आंखें बंद करें और गहरी सांस लें।
- प्रत्येक चक्र के लिए संबंधित मंत्र का जाप करें।
- ध्यान के दौरान उस चक्र के रंग और ऊर्जा की कल्पना करें।
- हर चक्र पर 5-10 मिनट ध्यान दें।
नियमित अभ्यास से शरीर और मन का संतुलन बना रहता है और भावनात्मक व शारीरिक बीमारियां दूर होती हैं।
प्रैक्टिस के लिए लिंक: https://youtu.be/NmAHY_tg9Es?si=u9r8blAAwNmKxJK4
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